अज्ञानी सूअर / AGYANI SUAR


अज्ञानी सूअर


 एक बार उद्धव ने भगवान कृष्ण से कहा इन जीवो को आप अपने देश क्यों नहीं ले चलते आप सर्व समर्थ हैं, और जो चाहे कर सकते हैं मैं देख रहा हूं कि संसार के जी तरह-तरह के दुखों और क्लेश में फंसे हुए हैं और निराश हो चुके हैं I
 आप इन दुखी जीवो पर कृपा करके इन्हें अपने सुख धाम में क्यों नहीं ले जाते I





              भगवान कृष्ण ने कहा कि मैं तो चाहता हूं लेकिन कोई जाने को तैयार भी तो हो I
 उद्धव ने कहा कि मैं नहीं मानता कि कोई चलने को तैयार नहीं है भगवान कृष्ण ने कहा जाओ जीवो से पूछो कि वह जाने को तैयार हैं I

 यह सोचते हुए की सच्चाई जानने का यही सही ढंग है, उद्धव चल पड़े और जो जीव उसके रास्ते में आए उसने यह प्रश्न करने की ठान ली I हुआ ऐसा कि चलते चलते सबसे पहले उसे एक सूअर मिला I

 सबसे निचली योनि सूअर की है I उद्धव ने सुअर से पूछा क्या तुम मृत्यु लोक छोड़कर बैकुंठ जाना चाहते हो, वह बड़ी शांति है, बड़ा आनंद है, बड़ी रोशनी है I अगर तुम चाहो तो हम दोनों अभी चल पड़ते हैं I

 सूअर ने उद्धव से पूछा क्या तुम्हारे बैकुंठ में बच्चे हैं I उद्धव ने कहा- नहीं सूअर ने फिर पूछा क्या मुझे वहां खाने पीने के लिए स्वादिष्ट मल मिलेगा उद्धव ने कहा -कि नहीं वहां पर दूसरी तरह की और बहुत सी चीजें हैं, जो तुम्हें बहुत अच्छी लगेंगी I

 सूअर बोला मुझे इसमें शक है, क्योंकि मल से स्वादिष्ट और क्या हो सकता है I इसलिए मैं तुम्हारे बैकुंठ में नहीं जाना चाहता हूं I

 मतलब तो यह है कि दुनिया को छोड़ कर भगवान की ओर लग ना बड़ा कठिन है I बिना भाग के यह दौलत नहीं मिलती, लोग विषय विकारों की ओर से मुंह मोड़ने को तैयार नहीं अतः इनका भाग्य इनको सच्चा आनंद नहीं लेने देता I
        


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