सिकंदर महान की अंतिम इच्छा
Sikandar ki antim Ichcha
सिकंदर-ए-आजम जिसको विश्व विजई कहते हैं जब
सारी दुनिया को जीतते हुए भारत के उत्तर पश्चिम व्यास नदी के
पास आया, तो फौज ने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया और मजबूर होकर उसको वापस लौटना
पड़ा I एक दिन सिकंदर ने ज्योतिषियों से पूछा , कि मेरी
मौत कब होगी ,क्योंकि ज्योतिष समझदार उन्होंने मन ही मन हिसाब लगाकर देखा की उम्र
बहुत थोड़ी है करीब करीब खत्म हो चुकी है और सच कहने से अपनी जान का डर था और झूठ
भी कहना नहीं है I सोच विचार कर कहा कि आप की मौत कब होगी जब आसमान सोने का और
जमीन लोहे की होगी I सिकंदर खुश हो गया और कहने लगा फिर क्या फिक्र है ना कभी
ऐसा होगा और ना ही मैं कभी मरूंगा I
जब वह पश्चिम फस जाते हुए रेगिस्तान से गुजर
रहा था I तो उसे मलेरिया हो गया , पीछे पीछे सेना आगे आगे खुद और वजीर I जैसे जैसे
वह आगे बढ़ता गया उसका बुखार तेज होता गया I फौज काफी पीछे रह गई थी I आखिर में वजीर से कहने लगा , वजीर मुझे तो बुखार हो गया
है I वजीर ने कहा कि बादशाह सलामत दो चार मील आगे चलो कोई
पेड़ आ जाए जहां आराम किया जाए I
जब आगे गए तो बुखार बहुत तेज हो गया I बह वजीर से कहने लगा अब बुखार बहुत तेज हो
गया है, अब मैं और आगे नहीं चल सकता I वजीर ने इधर-उधर देखा कहीं दूर दूर तक छाया
का नामोनिशान ही नहीं था I वजीर कहने लगा थोड़ा और आगे चलो शायद कोई आ जाए I
जब दो-चार मिल और चले तो बुखार इतने जोर का हो
गया कि बादशाह बर्दाश्त ना कर सका और घोड़े से उतर पड़ा और वजीर से बोला यह
लो पकड़ो घोड़े को मैं आगे एक कदम भी नहीं चल सकता I वजीर के पास क्या था जो नीचे
बिछाते वजीर ने अपना कवच उतार कर
बिछा दिया, और बादशाह उसके ऊपर लेट गया I कवच
लोहे का बना हुआ था दोपहर का वक्त था गर्मी जोड़ों की थी पेड़ का कहीं नाम नहीं था
I वजीर ने छाया के लिए उसने बादशाह की सोने की ढाल ऊपर कर दी अब
जब मौत आती है तो आदमी को पता चल जाता है I सोचने लगा ज्योतिष का कहना सच हो गया
इस समय जमीन लोहे की और आसमान सोने का है ,अब मेरी मौत होगी I
इतने में सारी फौज और हकीम वहां पहुंच गए I
बादशाह ने कहा मेरी नब्ज देखो I नब्ज देख कर उन्होंने कहा कि जनाब अब आप बच नहीं
सकते I राजा ने कहा मैं अपना आधा राज्य तुम्हें देता हूं, मुझे एक बार मेरी मां से
मिला दो I हकीम ने कहा यह
मुमकिन नहीं है , आपकी उम्र की अवधि पूरी हो गई है I अब एक सांस भी नहीं मिल सकता I
इस पर महान सिकंदर बच्चे की तरह फूट फूट कर रोया I
1
दिन में 24000
स्वास होते हैं , और एक एक सांस करोड़ करोड़ रुपए का है I जिसको हम
फालतू में और निकम्मी बातों में गवा देते हैं I सिकंदर महान अपना पूरा राज्य देने
को तैयार था I लेकिन एक भी स्वांस नहीं खरीद सकता था I अतः हमारा जीवन बहुमूल्य है
हमें इसका फायदा उठाना चाहिए , और समय पर ही सभी कार्यों को कर लेना चाहिए ना पता
इस क्षण हमें इस शरीर को छोड़ना पड़ जाए I
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