चोर जो सुधर गया / Chor Jo Sudhar Gaya/ hindi kahani


चोर जो सुधर गया
 Chor Jo Sudhar Gaya


 एक बार का जिक्र है की एक बहुत बड़ा चोर था I जब वह मरने लगा तो  उसने अपने बेटे को बुलाकर नसीहत दी , की अगर तुझे चोरी करनी है, तो किसी गुरुद्वारा, धर्मशाला याधर्म स्थान में ना जाना बल्कि इन से दूर ही रहना I दूसरी बात अगर पकड़े जाओ तो मानना नहीं की तुमने चोरी की है, चाहे कितनी ही सख्त मार पड़े लड़के ने कहा सत्य वचन इसके बाद चोर मर गया और उसका लड़का रोज रात को चोरी करता रहा I




             एक बार उस लड़के ने चोरी करने के लिए किसी घर के ताले तोड़े, घर वाले जाग पड़े और उन्होंने शोर मचा दिया I आगे पहरेदार खड़े थे उन्होंने कहा आने दो चोर  को बच कर कहां जाएगा I अब एक तरफ  घरवाले दूसरी तरफ पहरेदार Iअब चोर  जाए तो जाए किधर I किसी तरह से बह बच निकला I रास्ते में एक धर्मशाला पढ़ती थी, उसे अपने बाप की सलाह याद आई की धर्मशाला में नहीं जाना अब करे तो क्या करें आखरी यह सोच कर कि मौका देखना चाहिए  जोर धर्मशाला में छुप गया I बाप का आज्ञाकारी बेटा था ,इसलिए उसने कानों में उंगली डाल ली ताकि सत्संग के वचन कान में ना पड़ जाए I अब  मन आखिर अड़ियल घोड़ा, है इसे जिधर से हटाओ उधर ही भागता है I कानों को बंद कर लेने पर भी चोर के कानों में यह वचन पड़ गए की देवी देवताओं की परछाई नहीं होती है I मन ने कहा कि परछाई हो चाहे ना हो मुझे क्या मैंने यह वचन  जानबूझकर तो नहीं सुना I
                 घरवाले और पहरेदार पीछे लगे हुए थे I किसी ने बताया कि चोर धर्मशाला में है I पड़ताल हुई तो पकड़ा गया, और पुलिस के हवाले कर दिया गया I पुलिस ने उसको बहुत मारा लेकिन फिर उसे अपने बाप का बचन याद आया की पकड़े जाओ तो कभी मानना मत  की मैं चोर हूं I उसने ऐसा ही किया पुलिस ने बहुत मारा लेकिन वह नहीं माना I उस समय नियम यह था कि जब तक मुजरिम अपराध ना माने सजा नहीं दी जा सकती थी I
                   आखिर चोर को राजा के आगे पेश किया गया वहां भी खूब मार पड़ी लेकिन चोर को ना मानना था ना  माना I उस समय जितने भी  चोर होते थे वे सभी देवी की पूजा किया करते थे I राजा को यह बात याद थी कि सारे चोर देवी के भक्त होते हैं I तभी पुलिस ने  एक औरत  को  देवी का  स्वांग रच आने को कहा I औरत के दो नकली वाहे लगाएं चारों हाथों में चार मसाले  जलाई नकली शेर की सवारी की I क्योंकि वह पुलिस के साथ मिली हुई थी इसलिए जब  वह आई तो उसकी हिदायत के मुताबिक जेल के दरवाजे कड़क कड़क खुल गए I



                चोर जो सुधर गया / Chor Jo Sudhar Gaya

                    जब आदमी किसी मुसीबत में फंस जाता है तो अक्सर अपने इष्ट देव को याद करता है I इसलिए चोर देवी की याद में बैठा हुआ था, कि अचानक दरवाजा खुल गया और अंधेरे कमरे में एकदम रोशनी  हो गई I देवी ने बड़ी शान और एक खास अंदाज में कहा  देख भक्त तूने मुझे याद किया और मैं आ गई I तूने अच्छा किया जो चोरी नहीं बताई, तूने अगर चोरी की है तो मुझे सच सच बता दो मुझसे कुछ मत छुपा, मैं तुझे  आजाद करवा दूंगी I
                      चोर देवी का भक्त था अपने इष्ट को सामने खड़ा देखकर बहुत खुश हुआ I मन में सोचा कि मैं इस को सच सच बता दूं I  अभी बह बताने को तैयार ही हुआ था कि उसकी नजर देवी की परछाई पर  पड़ गई I  उसको फौरन सत्संग का वचन याद आ गया की देवी देवताओं की परछाई नहीं होती Iउसने देखा कि इसकी तो परछाई है, समझ गया कि यह देवी नहीं है छल है I यह सोच कर वह सच कहते कहते रुक गया, और बोला मां मैंने चोरी नहीं की अगर मैंने चोरी की होती तो क्या आपको पता नहीं होता I
                      उस औरत के कहने पर जेल के कमरे के बाहर बैठे पहरेदार चोर और औरत की बातचीत नोट कर रहे थे I उन सभी को विश्वास हो गया की यह झूठ नहीं बोल रहा है, और यह चोर नहीं है I वरना अपने इष्ट देवी के सामने झूठ नहीं बोलता I
                 दूसरे दिन पुलिस ने राजा से कह दिया कि यह चोर नहीं है और राजा ने उसको आजाद कर दिया I जब चोर आजाद हो गया तो सोचने लगा की सत्संग का एक वचन सुना तो जेल से छूट गया, अगर सारी उम्र सुनो तो पता नहीं क्या कुछ  मिले I जब यह ख्याल आया तो चोरनी चोरी का पैसा हमेशा के लिए छोड़ दिया और रोज मंदिर धर्मशाला गुरुद्वारा आदि जगह जाने लगा I उसने एक पूर्ण महात्मा की शरण ले ली और आगे चलकर वह भी विश्वविख्यात पूर्ण महात्मा बन गया I


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