राजा
भरथरी और अमर फल
Raja Bharthari Aur Amarfal
एक बार राजा भरथरी
ने अपने महलों में एक सती की तारीफ की जिसने अपने पति के साथ जलकर जान दे दी थी I क्योंकि उन दिनों भारत के कुछ भागों में सती प्रथा जारी थी I उसकी पत्नी बोली कि उस
स्त्री ने अपने आप को चिता तक जाने की फुर्सत ही क्यों दे दी, क्यों ना पहले ही मर
गई I राजा भरतरी ने सोचा इतने बड़े ऊंचे वचन कहे हैं दिल में विचार आया कि आजमाइश तो
करें I
1 दिन राजा शिकार को गया, और अपने कपड़े खून से लथपथ करके घर भेज दिए I और कहला भेजा कि राजा शेर के शिकार को गया था,लेकिन शेर ने उसको मार डाला I जब उसकी स्त्री ने यह बात सुनी तो गश खाकर गिर पड़ी और एकदम प्राण त्याग दिए I राजा भरतरी को बहुत अफसोस हुआ इतनी ने पत्नी से हाथ गवा बैठे लेकिन जल्दी ही
उसने दूसरी शादी कर ली I
कुछ समय बाद एक साधु राजा के पास आया और उसे एक
फल दिया I जिसमें यह खूबी थी कि बूढ़ा खाए तो सदा के लिए जवान हो जाए I भरथरी ने सोचा
मैंने फल खाया तो क्या फायदा इसे रानी को दे दूं, उसने सोचा कि यह भी पहली जैसी
होगी और फल देते समय यह बता दिया कि इसके खाने से बूढ़ा हमेशा के लिए जवान हो जाता
है I
बदकिस्मती से उसकी दूसरी रानी पहली रानी से
बिल्कुल उलट थी I रानी का दिल कोतवाल पर था, उसने वह फल कोतवाल को दे दिया, पर कोतवाल उस रानी से प्रेम नहीं करता था उसकी प्रीति एक वैश्या के साथ में थी I उसने वह पल
वैश्या को दे दिया I वैश्या को जब उस फल के गुणों के बारे में पता चला तो उसने सोचा
कि मेरी सारी उम्र बुरे कामों में ही बीती है, मैंने फल खाकर यही कुछ करना है क्यों
ना यह फल राजा को दे दे, राजा बड़ा धर्मात्मा है उसके राज्य में प्रजा को बहुत अधिक
सुख है I जब फल राजा के पास आया उसने पहचान लियाI राजा ने वेश्या से कहा कि सच बता यह फल कहां से लाई है I वैश्या कहने लगी यह पल मुझे कोतवाल से मिला था I राजा ने नौकर भेज कर कोतवाल को
बुलाया और पूछा सच बताओ तुम्हें यह फल कहां से मिला कोतवाल पहले तो इधर- उधर टालने लगा लेकिन जब राजा ने धमकाया तब बोल पड़ा
कि रानी से मिला है, फिर रानी को बुलाया उस वक्त राजा भरथरी ने पहले अपने आप को कोसा धिक्क्कार है मुझको जो मैंने एक पतिव्रता स्त्री की बेकार में आजमाइश की और फिर ऐसी औरत के जाल में फंसा ,फिर धिक्कार है उस रानी को जो
राजा को छोड़कर नौकरों के पीछे भागती है, फिर धिक्कार है कोतवाल को जिसको रानी मिली
लेकिन रानी को छोड़कर वैश्या के पीछे भागता है, यही सब सोचते हुए राजा भरतरी ने
राजपाट त्याग दिया और अपनी शेषा की प्रभु भक्ति में बताइए I
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